योग: भारत की प्राचीन परंपरा को वैश्विक मंच देने वाला युगांतकारी कदम – मोदी जी का योगदान अतुलनीय

योग दिवस विशेष रिपोर्ट |
भारत की आत्मा में रचा-बसा योग आज वैश्विक स्वास्थ्य और शांति का प्रतीक बन गया है — और इस परिवर्तनकारी यात्रा के केंद्र में हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में मोदी जी ने 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे अभूतपूर्व रूप से 177 देशों ने समर्थन दिया। यह भारतीय संस्कृति के लिए गर्व का क्षण था, जब योग को पहली बार संयुक्त राष्ट्र जैसे मंच पर वैश्विक मान्यता मिली।
मोदी जी के प्रमुख योग-संबंधित कदम:
• 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना (2015 से हर वर्ष)
• ‘Fit India Movement’ और ‘Yoga for Humanity’ जैसे अभियान शुरू किए
• भारत में सरकारी स्तर पर स्कूलों, कॉलेजों, सेना और प्रशासन में योग को बढ़ावा देना
• देश-विदेश में योग को डिप्लोमेसी और कल्याण का माध्यम बनाना – ‘Soft Power of India’
• मेडिकल रिसर्च से जोड़कर योग के वैज्ञानिक लाभों को प्रमाणित करने की पहल
🌍 क्यों जरूरी था यह कदम?
• आधुनिक जीवनशैली में तनाव, अवसाद और बीमारियों की बाढ़ आ गई थी।
• लोगों को दवाओं से हटकर एक प्राकृतिक और संपूर्ण समाधान की जरूरत थी।
• योग न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन को शांत, विचारों को शुद्ध और आत्मा को ऊर्जावान बनाता है।
“योग भारत की अनमोल विरासत है, और आज यह मानवता के लिए एक उपहार बन चुका है।” – नरेंद्र मोदी
योग का वैश्विकरण केवल एक सांस्कृतिक गर्व नहीं, बल्कि एक मानवीय ज़रूरत का जवाब है — और इस ऐतिहासिक बदलाव में प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका मील का पत्थर है।
“अब योग केवल व्यायाम नहीं, जीवन जीने की कला बन चुका है।” 21 जून – अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, आइए हम सब मिलकर इसे अपनाएं और आगे बढ़ाएं!