छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों की बदहाली: मास्टर जी बच्चों से करवा रहे धान की सफाई। शिक्षा पर सवाल??

जांजगीर, छत्तीसगढ़ से आजाद भारत न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट
राज्य के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। जांजगीर जिले के एक शासकीय प्राथमिक विद्यालय का वीडियो सामने आया है, जिसमें शिक्षक मास्टर जी बच्चों से धान छंटवा रहे हैं। यह दृश्य देख हर कोई हैरान है कि जहां बच्चों को किताब और कलम के साथ भविष्य गढ़ना चाहिए, वहां उनसे खेतों के काम करवाए जा रहे हैं।



स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि यह कोई पहली बार नहीं है। कई बार शिक्षक स्कूल समय में निजी कार्यों में बच्चों को लगाते हैं — कभी झाड़ू लगवाना, कभी सामान ढोना, और अब तो धान की छंटाई तक। कई शिक्षक स्कूलों में नशे की हालत में भी पहुंचते हैं, जिससे बच्चों की सुरक्षा और सीखने के माहौल पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
शिक्षा अधिकार कानून की उड़ रही धज्जियाँ
इस तरह की घटनाएं न केवल शिक्षा के अधिकार कानून (RTE Act, 2009) का उल्लंघन हैं, बल्कि बच्चों के मौलिक अधिकारों पर भी सीधा हमला हैं। स्कूली शिक्षा को लेकर सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है।
क्या कहती है शिक्षा विभाग की व्यवस्था?
जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों से इस पर सवाल किया गया, तो उन्होंने जांच की बात कही। लेकिन इससे पहले भी ऐसे कई मामले “जांच” की घोषणा के साथ दबा दिए गए। न तो दोषियों पर कार्रवाई हुई, न ही कोई सुधार दिखा।
समाज और प्रशासन से सवाल:
स्कूलों में बच्चों से मजदूरी करवाना क्या बाल श्रम नहीं है?
क्या शिक्षक की भूमिका केवल हाजिरी पूरी करना रह गई है?
सरकार और शिक्षा विभाग कब जागेगा?
समाधान क्या हो?
दोषी शिक्षकों पर तत्काल कार्रवाई हो
स्कूलों की नियमित निगरानी हो
समुदाय और अभिभावकों को स्कूलों में भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाए
बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए
अगर आप भी ऐसे किसी स्कूल में हो रही लापरवाही से वाकिफ हैं, तो अपनी बात सामने लाइए। यह वक्त चुप बैठने का नहीं, सवाल उठाने का है।
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