“अंगना म शिक्षा” कार्यक्रम में माताएँ बनीं शिक्षक, बच्चों को सुनाई कहानी

आजाद भारत न्यूज़ लाइव कोटा, बिलासपुर | प्राथमिक शाला फुलवारीपारा (सल्का), संकुल केंद्र केकराडीह।
कोटा विकासखंड के अंतर्गत आने वाली शासकीय प्राथमिक शाला फुलवारीपारा (सल्का) में आयोजित “अंगना म शिक्षा” कार्यक्रम ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि बच्चों की शिक्षा में माता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम के अंतर्गत स्मार्ट माताओं ने विद्यालय पहुंचकर न केवल शिक्षण प्रक्रिया का निरीक्षण किया, बल्कि बच्चों के साथ मिलकर संवाद किया, कहानियाँ सुनीं और खुद भी कहानियाँ सुनाईं। बच्चों के साथ इस आत्मीय जुड़ाव ने स्कूल परिसर को एक जीवंत और प्रेरणादायक माहौल में बदल दिया।

माताएँ बनीं सीखने की सहभागी
कार्यक्रम की खास बात यह रही कि विद्यालयी गतिविधियों में माताएँ एक दर्शक नहीं, बल्कि सक्रिय सहभागी बनीं। बच्चों से संवाद करते समय उन्होंने उनके भावों, सीखने के तौर-तरीकों और रुचियों को समझा। माताओं ने खुद स्वीकार किया कि इस तरह स्कूल से जुड़ाव उन्हें बच्चों की पढ़ाई को बेहतर समझने और सहयोग करने का मौका देता है।इस अवसर पर बच्चों ने उत्साहपूर्वक माताओं से संवाद किया, कहानियाँ सुनीं और अपनी बातें साझा कीं। कई माताओं ने भी अपनी बाल्यकाल की रोचक कहानियाँ बच्चों को सुनाकर वातावरण को जीवंत बना दिया।

शाला प्रधान का प्रेरणादायक संदेश
विद्यालय के प्रधान पाठक श्री कुबेर नाथ शर्मा ने पूरे कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा:”बच्चे विद्यालय में 4-5 घंटे बिताते हैं, लेकिन अधिकांश समय वे घर और अपनी माँ के साथ रहते हैं। ऐसे में यदि माँ भी शिक्षण प्रक्रिया में सहयोगी बन जाए तो यह बच्चे के समग्र विकास के लिए बेहद लाभकारी होता है।”
“हमें प्रयास करना होगा कि स्कूल, घर और समुदाय—तीनों जगह बच्चों के लिए एक सकारात्मक और सीखने योग्य वातावरण बने।”
समुदाय की भागीदारी ने बढ़ाया उत्साह
कार्यक्रम में वार्ड पंच श्रीमती सुमिता बाई और महिला समूह अध्यक्ष श्रीमती मंदाकिनी की मौजूदगी ने आयोजन को और गरिमा प्रदान की। उन्होंने भी माताओं की सक्रियता की सराहना की और इस प्रयास को गांव के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
सभी स्मार्ट माताएँ इस बात को लेकर उत्साहित रहीं कि उन्हें बच्चों के सीखने की दुनिया को नजदीक से समझने का अवसर मिला।
“अंगना म शिक्षा” का संदेश
यह कार्यक्रम राज्य शासन की उस सोच को आगे बढ़ाता है जिसमें शिक्षा सिर्फ स्कूल तक सीमित नहीं, बल्कि परिवार और समुदाय का साझा उत्तरदायित्व है। “अंगना म शिक्षा” माताओं को सशक्त बनाकर उन्हें बच्चों के प्रारंभिक शिक्षण का अभिन्न अंग बना रही है।
संपादकीय-
“अंगना म शिक्षा” जैसे कार्यक्रम केवल शिक्षण प्रक्रिया नहीं, विश्वास का पुल बनाते हैं—जहाँ शिक्षक, माता और समुदाय मिलकर बच्चों के भविष्य को संवारते हैं।
शाला फुलवारीपारा (सल्का) का यह आयोजन इसी दिशा में एक प्रेरणादायक कदम माना जा सकता है, जिसकी गूंज दूर तक सुनाई देगी।