August 3, 2025

“पीठ पर सेवा, दिल में ज़िम्मेदारी” छत्तीसगढ़ की यह मितानिन इंसानियत की बनी मिशाल।

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जशपुर, छत्तीसगढ़

जब पुल टूट गया और एम्बुलेंस रास्ते में ही अटक गई, तब मितानिन ने अपनी ज़िम्मेदारी को बोझ नहीं, अपना धर्म समझा।

अपने कंधों में उठाकर नदी पार कराती मितानिन

मितानिन की मिसाल: जब एम्बुलेंस नहीं पहुंची, तो वह खुद बन गई जीवनरक्षक

स्थान: सोनक्यारी (सतालूटोली), विकासखंड मनोरा, जिला जशपुर, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ की पहाड़ियों और जंगलों से ढके जशपुर जिले के एक छोटे से गांव में एक सच्ची नायिका ने ऐसा काम कर दिखाया है, जो शब्दों में बयान करना कठिन है। यह कहानी है एक मितानिन की — नाम भले अभी सार्वजनिक न हुआ हो, लेकिन उसका काम पूरे राज्य के लिए प्रेरणा बन चुका है।

घटना कुछ यूँ घटी:

सोनक्यारी (सतालूटोली) गांव की एक गर्भवती महिला को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। पर गाँव की बड़ी समस्या — टूट चुका पुल — एक बार फिर सामने आ खड़ा हुआ। एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाई।

परिजन चिंतित थे। बारिश, कीचड़, दुर्गम रास्ते और कोई साधन नहीं…
तभी आई गांव की मितानिन।

उसने हालात को समझा और तुरंत निर्णय लिया कि महिला की डिलीवरी वहीं घर पर ही करानी होगी। बिना समय गंवाए, उसने महिला की सुरक्षित प्रसव में मदद की। पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती।

डिलीवरी के बाद नवजात और माँ की तत्काल देखभाल जरूरी थी।
ऐसे में मितानिन ने मानव सेवा की पराकाष्ठा दिखाते हुए — महिला और नवजात को अपनी पीठ पर उठाया और लगभग 1.5 किलोमीटर का कठिन रास्ता तय कर अस्पताल तक पहुंचाया।

और अंत में…

जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

अस्पताल स्टाफ भी मितानिन के साहस और सेवा भाव से अभिभूत हैं।

मितानिन क्या होती है?

छत्तीसगढ़ में “मितानिन” शब्द का अर्थ होता है — सच्ची सहेली या हमदर्द।
राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी महिलाएं बिना वेतन, समाजसेवा के उद्देश्य से स्वास्थ्य जागरूकता, प्राथमिक उपचार, टीकाकरण, महिला व बाल स्वास्थ्य, आदि के लिए काम करती हैं।

स्वास्थ्य विभाग के पदसोपान में मितानिन सबसे निचले स्तर पर आती है, पर जमीनी हकीकत यह है कि वो सबसे ऊंचे दर्जे की सेवा देती है।

कुछ जरूरी सवाल जो इस घटना ने उठाए:

1. सड़क और पुल निर्माण की उपेक्षा का नतीजा – महिलाओं की जान जोखिम में।

2. स्वास्थ्य सेवा की अंतिम कड़ी (मितानिन) तो नायिका बन रही है, पर क्या हम उसे पर्याप्त मान-सम्मान और संसाधन दे पा रहे हैं?

3. क्या विभाग के उच्च अधिकारी और अन्य कर्मचारी इतनी संवेदनशीलता और तत्परता दिखा पाते हैं?

आमजन और शासन से अपील:

इस मितानिन को सम्मानित किया जाए।

गाँव में टूटे पुल और सड़क की मरम्मत शीघ्र की जाए।

मितानिनों के लिए प्रशिक्षण, सुरक्षा, और इंसेंटिव पर और ध्यान दिया जाए।

अंत में – एक भावपूर्ण विचार:

“पद नहीं, सेवा का भाव महान बनाता है।”
जब सिस्टम विफल होता है, तो ज़मीन से जुड़ा एक व्यक्ति समाज को जीवनदान देता है।
ऐसी मितानिनों को हम सिर्फ तालियों से नहीं, व्यवस्था के सुधार से सलाम करें।

वीडियो देखें कैसे मितानिन ने मदद की- Youtube @azadbharatlive2

विशेष रिपोर्ट- प्रदीप कुमार शर्मा आजाद भारत लाइव न्यूज़

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