आज से नवरात्रि प्रारंभ: मां आदि शक्ति के 9 स्वरूपों की आराधना का महापर्व। “माँ दुर्गा के नौ स्वरूप और उनका महत्व”

आज से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। यह पर्व मां आदि शक्ति की उपासना का प्रतीक है, जिसमें नौ दिनों तक दुर्गा मां के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में देवी दुर्गा के प्रत्येक स्वरूप की भक्ति से जीवन में शक्ति, शांति और सफलता का संचार होता है।
नवरात्रि का यह पावन पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आत्मशक्ति को पहचानने और साधना के माध्यम से जीवन को सकारात्मक बनाने का अवसर भी है।
मां दुर्गा के नौ स्वरूप और उनका महत्व
पहला दिन – मां शैलपुत्री

पर्वतराज हिमालय की पुत्री। स्थिरता, साहस और नई शुरुआत की प्रतीक। पूजा से आत्मबल और सौभाग्य की प्राप्ति।
दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी

तप और साधना की देवी। कठिन समय में धैर्य, संयम और अनुशासन का वरदान। जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा

साहस और निडरता का स्वरूप। आराधना से आत्मरक्षा, निर्भयता और संघर्षों से लड़ने की प्रेरणा।
चौथा दिन – मां कूष्मांडा

सृजन और ऊर्जा की देवी। यह दिन अपने भीतर की शक्ति को जागृत कर रचनात्मकता बढ़ाने का संदेश देता है।
पांचवां दिन – मां स्कंदमाता

मातृत्व, करुणा और सेवा का प्रतीक। पूजा से जीवन में ममता, प्रेम और सेवा भावना का संचार।
छठा दिन – मां कात्यायनी

न्याय और शक्ति का स्वरूप। आराधना से अन्याय के विरुद्ध खड़े होने और कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
सातवां दिन – मां कालरात्रि

विघ्नहरण और बुराई-विनाश की देवी। यह दिन बताता है कि साहस और शक्ति से अज्ञान और नकारात्मकता का नाश संभव है।
आठवां दिन – मां महागौरी

शांति, सौंदर्य और आत्मशुद्धि का स्वरूप। पूजा से पवित्रता, करुणा और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
नौवां दिन – मां सिद्धिदात्री

सिद्धियों और पूर्णता की देवी। साधना से सफलता, सिद्धि और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
नवरात्रि का समग्र संदेश
नवरात्रि की नौ रात्रियां जीवन के हर पहलू को छूती हैं — आत्मबल, धैर्य, साहस, सृजन, सेवा, न्याय, साहस, शांति और सफलता।
यह पर्व केवल देवी की आराधना नहीं, बल्कि अपने भीतर छिपी शक्ति को जागृत करने का माध्यम है।
जय माता दी – सभी भक्तों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।
आजाद भारत न्यूज़ लाइव–
छत्तीसगढ़ अपनी लोक संस्कृति और देवी उपासना परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। यहां नवरात्रि और पूरे साल में देवी मंदिरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन और पूजा करने पहुंचते हैं। आप घूमने के लिए इन प्रमुख देवी स्थलों पर जा सकते हैं:
छत्तीसगढ़ के प्रमुख देवी स्थल
1. महामाया देवी मंदिर – रतनपुर (बिलासपुर)
छत्तीसगढ़ का सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ।
मां महामाया को आदि शक्ति माना जाता है।
नवरात्रि में यहां भव्य मेला और लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है।
2. बमleshwari देवी मंदिर – डोंगरगढ़ (राजनांदगांव)
ऊँचे पहाड़ पर स्थित यह मंदिर छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है।
यहां तक पहुँचने के लिए 1000 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, अब रोपवे की सुविधा भी है।
मां बम्लेश्वरी की आराधना विशेष रूप से नवरात्रि में होती है।
3. दंतेश्वरी माता मंदिर – दंतेवाड़ा (बस्तर)
52 शक्तिपीठों में से एक।
यहां मां दंतेश्वरी की पूजा होती है, जो बस्तर अंचल की कुलदेवी मानी जाती हैं।
बस्तर दशहरा का मुख्य केंद्र यही मंदिर है।
4. कांकेर देवी मंदिर – कांकेर
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से प्रसिद्ध।
माता की आराधना यहां शांति और शक्ति दोनों का वरदान देती है।
5. खल्लारी माता मंदिर – महासमुंद
पहाड़ी पर स्थित प्राचीन मंदिर।
माता खल्लारी स्थानीय लोगों की आराध्य देवी हैं।
नवरात्रि में यहां बड़ा मेला लगता है।
6. राजीव लोचन मंदिर क्षेत्र की देवी – राजिम (गरियाबंद)
राजिम क्षेत्र केवल त्रिवेणी संगम ही नहीं बल्कि देवी मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है।
यहां देवी उपासना और धार्मिक आयोजन होते रहते हैं।
7. बम्हनी देवी मंदिर – कवर्धा
घने जंगलों और प्राकृतिक सुंदरता से घिरा मंदिर।
लोक श्रद्धा से जुड़ा स्थल।
8. चंद्रपुर की चंडी माता – जांजगीर-चांपा
चंडी माता का प्राचीन मंदिर।
भक्तों की मान्यता है कि यहां हर मनोकामना पूरी होती है।
9. लखनी देवी मंदिर – कबीरधाम
लोक आस्था का बड़ा केंद्र।
नवरात्रि और अन्य पर्वों पर विशेष आयोजन।
विशेष–
नवरात्रि के दौरान छत्तीसगढ़ के इन मंदिरों में भव्य मेले, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भक्ति का अद्भुत वातावरण देखने को मिलता है। यह केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि संस्कृति और पर्यटन का भी उत्कृष्ट अनुभव प्रदान करते हैं।

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